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October 9, 2013
नई दिल्ली

ब्रुनेई और इंडोनेशिया रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री का बयान

प्रधानमंत्री ने आज ब्रुनेई और इंडोनेशिया की यात्रा पर रवाना होने से पहले बयान दिया। डॉक्‍टर मनमोहन सिंह के इस वक्‍तव्‍य का मूलपाठ नीचे दिया जा रहा है:- 

''आज मैं ब्रुनेई दारुस्सलाम और इंडोनेशिया की यात्रा पर रवाना हो रहा हूं। ये दोनों ही दक्षिण पूर्व एशिया में हमारे प्रमुख भागीदार हैं। ब्रुनेई में मैं 11वीं भारत-आसियान शिखर सम्‍मेलन और आठवीं पूर्वी एशियाई शिखर सम्‍मेलन में भी भाग लूंगा। इसके बाद मैं इंडोनेशिया की राजकीय द्विपक्षीय यात्रा पर रवाना हो जाऊंगा। 

आसियान सदस्‍य देशों के साथ हमारे संबंध हमारी पूर्व की ओर देखो नीति की बुनियाद हैं और इसके जरिए हाल के वर्षों में हमने मजबूत, व्‍यापक और बहुपक्षीय भागीदारी विकसित की है। इसकी शुरूआत सुदृढ़ आर्थिक नीतियों से हुई और हमारा मुख्‍य जोर वाणिज्‍य एवं संपर्कों पर रहा। लेकिन अब यह रणनीतिक रूप धारण कर चुका है। आसियान देशों के साथ संबंध बढ़ाने, नई दिल्‍ली में रणनीतिक भागीदारी और स्‍मारक/शिखर सम्‍मेलन तथा सेवाओं और निवेश में दिसंबर 2012 में भारत आसियान मुक्‍त व्‍यापार समझौते पर हस्‍ताक्षर के बाद यह पहला मौका है जब ब्रुनेई में बैठक हो रही है। इससे हमें और आसियान देशों के हमारे साथियों को पिछले कुछ महीनों के दौरान संबंधों में प्रगति की समीक्षा का मौका मिलेगा और उन उपायों पर विचार करने का अवसर मिलेगा जो हमारे संबंधों को और गति दे सकते हैं। 

एशिया प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए पूर्व एशिया शिखर सम्‍मेलन सबसे उपयुक्‍त मंच है। हमारे हित इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, अत: भारत आसियान देशों को मुख्‍य बिंदु बनाकर इस आधार पर हमने खुली, संतुलित और समावेशी क्षेत्रीय नीति बनाई है। भारत पूर्व एशिया शिखर सम्‍मेलन को क्षेत्रीय सहयोग एकीकरण और क्षेत्रीय व्‍यापक आर्थिक भागीदारी के लिए वार्ता करने हेतु केंद्र बिंदु मानता है जो इस क्षेत्र में आर्थिक समुदाय के सृजन में सहायक होंगे। इस शिखर सम्‍मेलन द्वारा नालंदा  विश्‍वविद्यालय के पुनरुद्धार के संबंध में भारत की पहल का अत्‍यधिक समर्थन किया गया है। इस विश्‍वविद्यालय में अगले साल से शैक्षणिक कार्यक्रम शुरू होने की उम्‍मीद है। मैं पूर्वी एशियाई शिखर सम्‍मेलन के समय हुई अन्‍य विश्‍व नेताओं से भी भेंट का समय निकालूंगा। 

मेरा अगला गंतव्‍य इंडोनेशिया होगा जो सिर्फ आसियान देशों में प्रमुख नहीं है बल्कि ऐसा देश है जिसका क्षेत्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय महत्‍व बढ़ रहा है और साथ ही वह भारत का महत्‍वपूर्ण परस्‍पर भागीदार भी है। भारत और इंडोनेशिया के बीच जन स्‍तर पर सदियों पुराने सांस्‍कृतिक एवं आध्‍यात्मिक संबंध रहे हैं। आज, एक ही समुद्र तट से लगे देश होने के नाते अर्थव्‍यवस्‍था, ऊर्जा, सुरक्षा अंतरिक्ष एवं विकास के क्षेत्रों में हमारे समान हित हैं।   

इंडोनेशिया के साथ अपने संबंधों को हम व्‍यापक क्षेत्र में भारत के साथ एकीकरण के रूप में देखते हैं। मेरा इरादा है कि इस यात्रा के जरिए आसियान देशों के साथ हम सुदृढ़ भागीदारी की प्रतिबद्धता का निर्माण करें और इन संबंधों पर फिर से जोर दें। इस दौरान हम क्षेत्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।  

मेरी कोशिश यह होगी कि राष्‍ट्रपति युद्धोयोनों की 2011 के गणतंत्र दिवस पर मुख्‍य अतिथि के रूप में भाग लेने के बाद परस्‍पर संबंधों में जो गति‍शीलता और संपूर्णता आई है उसे बनाये रखा जाए, आने वाले वर्षों में सहयोग बढ़ाया जाए और इसके लिए संस्‍थागत तंत्र विकसित किया जाए।  

मेरी इस ब्रुनेई दारुस्सलाम और इंडोनेशिया की यात्राओं से पूर्व की तरफ हमारे संबंध और सुदृढ़ होंगे। यही हमारी विदेश नीति का आधार रहा है, जिससे शांति, समृद्धि और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता बनी रही है।"