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मुझे ये जानकर बहुत दुख है कि दिल्ली में १६ दिसंबर को जो नौजवान युवती नृशंस हमले का शिकार हुई थी उसका देहांत हो गया है मैं सभी देशवासियों के साथ इस युवती के परिवारवालों और मित्रों को इस भारी क्षति पर संवेदनाएं देता हूं।
मैं उसके परिजनों और पूरे देश से कहना चाहता हूं कि हालांकि वो ज़िन्दगी की लड़ाई हार गई हो, लेकिन ये हम सब पर निर्भर करता है कि हम उसकी मृत्यु को व्यर्थ न जाने दें। हमने देखा कि इस घटना पर किस तरह से लोगो की भावनाएं सामने आईं हैं। इसे आसानी से समझा जा सकता है कि यह एक युवा भारत की ये प्रतिक्रिया है, जो समाज में मूलभूत परिवर्तन चाहता है। दिवंगत युवती की स्मृति को हमारी असली श्रद्धांजलि यही होगी कि हम इन भावनाओं और ऊर्जा को सकारात्मक दिशा दें।
समय की आवश्यकता है कि हम ठंडे दिमाग से बहस के ज़रिये उन सभी गंभीर विषयो की जांच करें कि सामाजिक रवैयो मे किस तरह के बदलाव ज़रूरी हैं। सरकार प्राथकमिकता से इस तरह के अपराधो के विरुध्द वर्तमान कानूनो की समीक्षा कर रही है और यह जांच कर रही है कि महिलाओं की सुरक्षा को मज़बूत बनाने के क्या नये उपाय किये जांय।
मुझे आशा है कि संपूर्ण राजनीतिक वर्ग और सिविल सोसायटी अपने संकीर्ण हितों और एजेंडा से ऊपर उठकर हम सबके भारत को महिलाओ के लिये बेहतर और अधिक सुरक्षित बनाने के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेंगे।
मैं दिवंगत युवती की आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना करता हूं और कामना करता हूं कि ईश्वर शोक ग्रस्त परिवार को संकट की इस घड़ी में शक्ति दे।