भाषण [वापस जाएं]

February 21, 2014
नई दिल्ली


15वीं लोक सभा के लिए प्रधानमंत्री का विदाई भाषण

"अध्यक्ष महोदया,

पंद्रहवीं लोक सभा का सफर समाप्त होने जा रहा है इसलिए मैं इस गरिमापूर्ण सदन के सभी सदस्यों के साथ आपके इसकी कार्यवाही पूरी करने में आपके योगदान के लिए सम्मान प्रकट करता हूं।

महोदया,

संसदीय जीवन में, दलों के बीच मतभेद होते हैं, लेकिन न्यूनतम निरंतरता और समाधान तलाशने के रास्ते और माध्यम भी होने चाहिए ताकि भारतीय राज्य का जहाज आगे बढ़ सके। हमने देखा है कि कुछ महत्वपूर्ण मामलों में, इस सदन ने राष्ट्रीय समाधान के मार्ग तलाशने के लिए दलगत कलह से ऊपर उठने की क्षमता और इच्छा शक्ति दिखाई। जिस ढंग से तेलंगाना राज्य के उदय का रास्ता तलाशा गया, वह इस बात का एक और संकेत है कि यह देश बिना किसी विद्वेष, फालतू बातों के बारे में बिना अधिक चिंता किए बहुत कठिन निर्णय लेने में समर्थ है तथा हम इस तथ्य का श्रेय ले सकते हैं कि तेलंगाना राज्य, जिसकी मांग पिछले 60 साल से लंबित थी, आखिरकार साकार हो रहा है।

खाद्य सुरक्षा विधेयक एक और ऐतिहासिक कानून है। यह हमारे समुदाय के वंचित तबकों में आशा की किरण जगाएगा। यह हमारे किसानों को अधिक अनाज उपजाने के लिए उत्साहित करने की उम्मीद की किरण उपलब्ध कराएगा। शरदजी उसका वर्णन कर चुके हैं जिस ढंग से हमारे देश में कृषि की स्थिति में सुधार हुआ है। मैं उसकी सराहना करता हूं जिस ढंग से उन्होंने कृषि मंत्रालय के भाग्य का मार्गदर्शन किया है। स्पष्टतः, सदन के सभी सदस्यों ने इन परिणामों को हासिल करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

महोदया,

हम अब ऐसे चरण में प्रवेश कर रहे हैं जहां भारत की जनता को एक बार फिर, सरकार के प्रदर्शन, हमारी सरकार की कमजोरियों, सरकार की उपलब्धियों का आकलन करने और अपना निर्णय देने का अवसर मिलेगा तथा यह वह प्रक्रिया है जिसमें एक बार फिर आमसहमति की नई भावना उभरेगी जो हमारे देश को नई राहों पर ले जाएगी।

मैं सदन के सभी सम्मानित सदस्यों को धन्यवाद देता हूं। मैं विपक्ष की नेता को धन्यवाद देता हूं। मैं शिंदे जी को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने सदन के नेता के रूप में गजब के आत्मविश्वास के साथ अपने कर्तव्य निभाए हैं और मैं इस गरिमापूर्ण सदन के सभी सदस्यों को शुभकामना देता हूं। उम्मीद है कि कुछ समय रहे इस कलह, तनाव भरे माहौल से बाहर निकलकर, आशा का नया वातावरण जन्म लेगा।

इन शब्दों के साथ, मैं एक बार फिर उस ढंग के लिए आपकी सराहना करता हूं जिस ढंग से आपने हमारी कार्यवाही आयोजित की।"