भाषण [वापस जाएं]

February 3, 2014
जम्‍मू (जम्मू और कश्मीर)


101वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में प्रधानमंत्री का भाषण

आज जम्मू में 101वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिहं द्वारा दिये गए भाषण का अनूदित पाठ इस प्रकार है:-

"मुझे जम्‍मू–कश्‍मीर में पहली बार आयोजित हो रहे भारतीय विज्ञान कांग्रेस अधिवेशन में शामिल होकर बेहद खुशी हो रही है। भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ के जनरल प्रेजीडेंट, प्रोफेसर सोब्ती को मैं इसके लिए धन्यवाद देता हूं कि वो प्रमुख वैज्ञानिकों के इस अधिवेशन को पहली बार जम्मू-कश्मीर लाए। वैज्ञानिक समूदाय इनकी उपस्थिति राष्‍ट्र के संतुलित और समावेशी विकास की हमारी प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है।

मित्रों, हांलाकि मैं खुद एक वैज्ञानिक नहीं हूं लेकिन मुझे विज्ञान की महत्ता और राष्ट्र विकास में इसकी भूमिका का हमेशा ध्यान रहा है। मैं उस पीढ़ी का हूं जिसने प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जीवन और रचनाओं से प्रेरणा ग्रहण की है। उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के समय पूछा था- "दरअसल, आज विज्ञान की अनदेखी कौन कर सकता है? हर वक्त, हमें इसका सहारा लेना पड़ता है... भविष्य विज्ञान का है"।

यह दसवां मौका है जब मुझें भारतीय विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन सत्र को संबोधित करने का सौभाग्‍य मिला है। मेरा विश्वास है कि इन दस वर्षों के दौरान हमारे देश में विज्ञान बहुत बढ़ गया है। वैज्ञानिक समुदाय ने, जो आज यहां मौजूद हैं, हमारी सरकार के साथ मिलकर विकास के प्रमुख चालक के रुप में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने में कड़ी मेहनत की है।

जैसा कि पंडित जी ने भी कहा होता, "हमने अपना वायदा पूरा कर दिया है, भले ही वह पूर्ण रूपेण पूरा न हुआ हो, लेकिन आंशिक तौर पर तो हो ही गया है।"

2013 की विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति में हमारी महत्वाकांक्षाएं झलकती हैं और मौटेतौर पर इससे हमारा नजरिया भी जाहिर हो जाता है। हमने अनुसंधान और देश में शैक्षणिक आधार को बहुत मजबूत किया है। ताकि ये लक्ष्य पूरे किए जा सके। हमने विज्ञान को और आकर्षक बनाने के लिए अनेक उपाए किये है। हमने शैक्षणिक क्षेत्र की प्रतिभा, अनुसंधान और उद्योगो को अर्थव्यवस्था और जनजीवन को एक साथ जोड़ने के लिए काम किया है। इस सबसे पिछले दस वर्षों के दौरान विज्ञान ने हमारी प्रगति में काफी योगदान किया है।

विज्ञान में योगदान हमारी क्षमता महत्वपूर्ण ढंग से हमारी शिक्षा व्यवस्था को गुणवत्‍ता और मजबूती के साथ जोड़ने पर निर्भर करता है। हमारे देश में विज्ञान की शिक्षा पर काफी ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है। अगले कुछ वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में प्रवेश करने वाली सबसे बड़ी जनसंख्या हमारे देश में होगी। इसीलिए हमें उनको सही रास्ते पर ले जाने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। यह रास्ता उन्हें उत्पादक रोजगार की तरफ ले जाएगा। हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हमारे युवा वर्ग विज्ञान को अपना करियर बनाएं। ऐसा करने के लिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि यह काम इतना आकर्षक बन जाए कि वे ऐसा ही करें।

हमें स्कूल और विश्वविद्यालय स्तर पर ज्यादा सहयोग की जरूरत पड़ेगी। मात्रात्मक रूप से हम अपनी शिक्षा को स्कूल और ऊपरी दिशा में विस्तार में कामयाब रहे हैं। उच्च शिक्षा में सकल उपस्थिति अनुपात अगले दस वर्षों में दुगने से ज्यादा हो गया है और अब यह 19 प्रतिशत है। लेकिन हमें इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि जो भी शिक्षा दी जाए, उस पर ज्यादा ध्यान दिया जाए।

हमनें जो पांच विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान के भारतीय संस्थान स्थापित किए हैं, उन्होंने विज्ञान शिक्षा को उत्‍कृष्‍ट बनाने में एक नया आयाम जोड़ा है। हमने आठ नए आईआईटी खोले हैं। उच्च प्रतिभा वाले इन शिक्षा संस्थाओं तक हमारे लोगों की पहुंच दस वर्षों की छोटी सी अवधि में तीन गुना बढ़ गई है। यह महत्वपूर्ण घटना है।

मुझे यह कहते हुए भी यह खुशी हो रही है कि भारतीय विश्वविद्यालयों की अनुसंधान क्षमता में वृद्धि के सबूत हैं। दुनिया भर में सर्वेक्षण किया गया है जिसके अनुसार पंजाब विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के भारतीय संस्थानों में शीर्ष पर और पहुंच गया है। अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा और विज्ञान एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद जैसे सरकारी विभागों का महत्व बढ़ गया है और उन्होंने पिछले दस वर्षों के दौरान हमारे विश्वविद्यालयों तथा अन्य शिक्षा संस्थानों के साथ संपर्क कायम कर लिए हैं। इस तरह से विचारों का आदान-प्रदान संभव हो रहा है।

विज्ञान को आगे बढाने के लिए किसी ना किसी को इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए हमें अपने वार्षिक बजट में वृद्धि करनी होगी और इसे बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद के कम से कम दो प्रतिशत के बराबर करना होगा। यह खर्च सरकार और उद्योग- दोनों को वहन करना होगा। दक्षिण कोरिया जैसे देशों में सकल घरेलू उत्पाद में से एक बड़ा भाग विज्ञान पर खर्च किया जाता है। इसमें कोरियाई उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। मुझे यह कहते हुए यह खुशी है कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने जैव प्रौद्योगिकी में भागीदारी के लिए अनुसंधान और विकास में प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप शुरू की है। मैं अपने कॉर्पोरेट सेक्टर से अपील करता हूं कि वह ये लक्ष्य पूरा करने में सरकार का हाथ बटाएं जो हमने अपने देश के लिए तय किए हैं।

कुछ ही वर्षों पहले विशाखापत्‍तनम विज्ञान कांग्रेस ने मैंने एक नई योजना का ऐलान किया था। इसमें अनुसंधान तथा वैज्ञानिक अध्ययनों में प्रतिभा को आकर्षित करने की व्यवस्था थी। इसका नाम इंस्पायर रखा गया था। आज यह हमारी सरकार का बहुत महत्वपूर्ण कार्यक्रम बनकर उभरा हैं। इसने 10 लाख से ज्यादा बच्चों को पुरस्कृत किया है और 400 से ज्यादा ऐसे युवा भारतीयों को सम्मानित किया गया है जो पेटेंट ग्रेड के वर्ग में आते हैं।

अनुसंधान के लिए वित्‍तपोषण करने वाले एक प्रमुख संगठन ने अभी कुछ ही दिन पहले काम शुरू किया है। राष्‍ट्रीय विज्ञान और अभियांत्रिकी बोर्ड नाम के इस संगठन का प्रबंध वैज्ञानिकों के हाथों में है और इसने अपने तौर-तरीकों को सरल बनाया है। हमें इससे बहुत ज्‍यादा उम्‍मीद है और आशा है कि यह वैज्ञानिकों और वैज्ञानिक समूहों की विज्ञान के क्षेत्र में ऐसी छोटी इकाईयां गठित करेगा जो महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों के हित में होंगे।

हमारी कई एंजेसियां लक्ष्‍य-उन्‍मुख हैं और हमें उन पर नाज़ है। हाल ही में यह तब जाहिर हो गया जब भारत में ही बने क्रायोजेनिक इंजन से चलने वाला जिओ-स्‍टेशनरी लॉन्‍च व्‍हीकल करीब एक महीने पहले शानदार तरीके से अंतरिक्ष में पहुंचा। मैंने इसरो को तरल हाइड्रोजन रॉकेट इंजनों की प्रौद्योगिकी को उन्‍नत करने के लिए बधाई दी है। चंद्रमा और मंगल ग्रहों को भेजे जाने वाले हमारे मिशन इस महान सफलता के प्रमाण हैं जिन्‍हें हम अब अंतरिक्ष में पहुंचा देख रहे हैं।

हाल ही में भारत ने परमाणु और उच्‍च ऊर्जा भौतिकी क्षेत्रों में दुनिया में शानदार जगह हासिल कर ली है। भारतीय वैज्ञानिक अब पूरी दुनिया में ईर्ष्‍या की नजर से देखे जाते हैं। वे फास्‍ट ब्रीडर रियेक्‍टर विकसित करने की कोशिश में लगे है। मुझे उम्‍मीद है कि इसके लिए कलपक्‍कम में जो प्रोटोटाइप बनाया जा रहा है उसके निर्माण का काम इस साल पूरा कर लिया जाएगा। भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए यह एक महान दिवस होगा क्‍योंकि हम दुनिया के कुछ ही उन गिने-चुने देशों में शामिल हो जाएंगे जिन्‍होंने ऐसी परमाणु प्रौद्योगिकी पूरे तौर पर विकसित की है जो विद्युत शक्ति को प्रदूषित न करने में सहायक होती है।

मौसम विज्ञान में हमारी उन्नति का प्रमाण ओडिशा में हाल के चक्रवात के दौरान देखा गया जब हमने तूफान के ओडिशा तक पर टकराने की सटीक भविष्यवाणी की जो जाने-पहचाने अंतर्राष्ट्रीय निकायों की भवष्यिवाणी की तुलना में पूरी सटीक थी। 2004 में भारतीय समुद्री क्षेत्र में सुनामी के बाद नए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की स्थापना का हमारा निर्णय और 2007 में सुनामी का अनुमान लगाने वाली विश्वस्तरीय पद्धतियों में निवेश से बहुत फायदा हुआ है। अब हमारे पास सुनामी आने की घटना के 13 मिनट के अंदर अलर्ट जारी करने की क्षमता है। इसने हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के वैज्ञानिक नेतृत्व को स्थापित कर दिया है।

मैं हाल ही में शुरू किए गए मॉनसून मिशन के जरिए मॉनसून की भविष्यवाणी करने की अपनी क्षमता में निरंतर सुधार करने का भी इच्छुक हूं ताकि हम पिछले साल उत्तराखंड में आई आपदाओं जैसी स्थिति को टाल सकें।

सगुम और किफायती स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रमों के लिए वैज्ञानिक निवेश की भूमिका को स्वीकार करते हुए, हमारी सरकार ने स्वास्थ्य शिक्षा एवं अनुसंधान के लिए नए विभाग की स्थापना की है। अनदेखी की जा रही बीमारियों के लिए दवाइयों की खोज के प्रयासों के परिणाम सामने आने लगे हैं। रोटा वाइरस वैक्सीन, मलेरिया के लिए नई औषधि और कई अन्य दवाएं सामूहिक अनुसंधान का परिणाम हैं।

पिछले दस साल में, इलेक्ट्रानिक्स, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और सौर ऊर्जा के उभरते प्राथमिकता क्षेत्रों में अनेक राष्ट्रीय मिशन शुरू किए गए हैं। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने औषधियों की खोज और टीबी के लिए दवा की खोज के लिए मुक्त स्रोत नवाचार के क्षेत्र में कदम रखे। परिषद ने डाटा-इंटेंसिव खोज की नई दुनिया और विशाल डाटा सिस्टम भी शुरू किया है।

छठे वेतन आयोग से हमारे शैक्षिक और वैज्ञानिक कर्मचारियों की स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय सर्वेक्षण से पता चला है कि भारत में अब वैज्ञानिकों के लिए बहुत अच्छा वेतन है। पूर्ण कालिक अनुसंधान एवं विकास कर्मचारियों में हमारा प्रति व्यक्ति सकल व्यय खरीद शक्ति तुल्यता की तुलना में बढ़ता जा रहा है और दुनिया के कुछ बेहद विकसित अनुसंधान एवं विकास सिस्टम्स से इसकी तुलना की जा सकती है।

हमने पिछले दस साल में युवा वैज्ञानिकों के साथ-साथ वरिष्ठ वैज्ञानिकों को समर्थन देने के अनेक रास्ते तैयार किए हैं। जे सी बोस और रामानुजन फैलोशिप और ऐसी ही अन्य पहल यह सुनिश्चित करने के इरादे से की गई कि विज्ञान व्यावसाय के रूप में आकर्षक हो और शोध कार्य के लिए व्यक्तियों को पर्याप्त समर्थन मिल सके।

25 जवाहरलाल नेहरू फैलोशिप शुरू करना नई पहल है जिसके तहत विदेश में कहीं भी रहने वाले जाने-माने प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों को तीन साल की अवधि में 12 महीने के लिए भारत में काम करने के लिए आमंत्रित किया जाता है। सरकार ने पहले पांच फैलो का चयन कर लिया है। वे हैं प्रोफेसर एम. विद्यासागर, टेक्सास विश्वविद्यालय में प्रतिष्ठित कंप्यूटेशनल जीवविज्ञानी, प्रोफेसर श्रीनिवास कुलकर्णी, कालटेक में प्रतिष्ठित अंतरिक्ष विज्ञानी, प्रोफेसर त्रेवोर चार्ल्स प्लाट, विशिष्ट भू-वैज्ञानिक, बेडफोर्ड समुद्रविज्ञान संस्थान, कनाडा, प्रोफेसर श्रीनिवास वर्धन, विशिष्ट गणित वैज्ञानिक, न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय तथा प्रोफेसर अजीम सुरानी, कैंब्रिज विश्वविद्यालय में प्रसिद्ध जीव वैज्ञानिक। वे सभी रॉयल सोसायटी के फैलो हैं और एक अबेल मेडलिस्ट है।

मैं मानता हूं और हम सब मानते हैं कि सरकार को हमारे होनहार और सामाजिक रूप से जागरूक वैज्ञानिकों के लिए नए अवसर पैदा करने पर भी ध्यान देना चाहिए। खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और भूमि एवं जल उत्पादकता सुधारने के लिए, हमने सदाबहार क्रांति के लिए राष्ट्रीय अभियान शुरू किया है। यह हमारे कृषि वैज्ञानिकों की प्रवीणता का परीक्षण करेगा। जलवायु के प्रति लचीली खेती और आधुनिक जैव-प्रौद्योगिकीय साधनों में बहुत संभावनाएं हैं। जैव-प्रौद्योगिकी के उपयोग में उपज बढ़ाने की बहुत संभावनाएं हैं। सुरक्षा सुनिश्चिचत करते समय, हमें बीटी फसलों के विरोध में अवैज्ञानिक पूर्वाग्रह नहीं रखना चाहिए। हमारी सरकार कृषि के विकास के लिए इन नई प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल के प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिबद्ध रही है। मैं वैज्ञानिक समुदाय से अनुरोध करता हूं कि वे प्रौद्योगिकी के इन विकल्पों के सार्थक इस्तेमाल को समझाने और छोटे एवं मझौले उद्यमियों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए समाज के साथ संपर्क और संचार बढ़ाएं।

मैं बायोमेडिकल इंजीनियरिंग और अन्य चिकित्सा डिवाइसों पर स्वदेशी शोध के जरिए किफायती स्वास्थ्य देखभाल को भी प्रोत्साहन की उम्मीद करता हूं।

हमारी सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए अनेक क्षेत्रों में निवेश किया है कि भारत विज्ञान में अग्रणी रहे। मुझे 4500 करोड़ रुपये के बजट के साथ हाई परफोरमेन्स कंप्यूटिंग पर एक और राष्ट्रीय मिशन की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है। हम करीब 3000 करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ राष्ट्रीय भौगोलिक सूचना प्रणाली की स्थापना पर भी विचार कर रहे हैं। अपने शिक्षकों की प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षण मिशन भी शुरू किया जा रहा है।

मुझे यह घोषणा करते हुए भी खुशी हो रही है कि भारत दुनिया की कुछ प्रमुख अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं की स्थापना में अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय के साथ भागीदारी करेगा। में 1450 करोड़ रुपये की लागत से न्यूट्रिनो आधारित वेधशाला स्थापित करने का प्रस्ताव है। भारत एसोसिएट सदस्य के रूप में प्रसिद्ध सर्न संस्थान के साथ भी जुड़ रहा है।

भारत को समाज को मूल्य प्रदान करने के लिए आधुनिक विज्ञान की क्षमता से तालमेल बिठाने की जरूरत है। हमे शोध और विकास के कुछ क्षेत्रों में वैश्विक नेतृत्व भी करना चाहिए। मानव स्वास्थ्य देखभाल, सतत कृषि, स्वच्छ ऊर्जा और जल संबंधी चुनौतियों के लिए सम्पूर्ण समाधानों के लिए किफायती नवाचार कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां भारतीय वैज्ञानिक वैश्विक नेतृत्व कर सकते हैं।

भारतीय वैज्ञानिकों को अतीत से सीखना होगा और उन्हें वर्तमान से जुड़ना होगा तथा उन्हें भविष्य पर ध्यान देना होगा। हमारा बुनियादी शोध भारतीय स्थिति के लिए उपयुक्त किफायती समाधान विकसित करने के नूतन प्रयासों के साथ नई खोज के लिए निर्देशित होना चाहिए। इन सबसे बढ़कर हमारे विज्ञान को, पुनरुत्थानशील सभ्यता के रूप में भारत को ऐसी प्रदर्शक शक्ति बनाने के प्रयास करने चाहिए जिसमें हमारे युवा नागरिकों के लिए आशा और अवसर दोनों मौजूद हों।

अपनी बात समाप्त करने से पहले, मैं कुछ ऐसी बातों पर बल देता हूं जिन्होंने कुछ समय से हमारे लिए परेशानी पैदा की है। मैं कुछ समय से चिंतित हूं कि विज्ञान को हमारे सिस्टम में उसका समुचित महत्व नहीं मिला है। मैं चाहता हूं कि विज्ञान हमारी मूल्य प्रणाली में उच्च स्थान पर रहे ताकि हमारा समूचा वैज्ञानिक समाज विकास के लिए नैतिक और भौतिक समर्थन उपलब्ध कराए। यह न सिर्फ इसलिए आवश्यक है कि इस पर हमारा भविष्य निर्भर है बल्कि प्रगतिशील, तार्किक और मानव समाज की प्रगति के लिए आवश्यक हमारी जनसंख्या के वैज्ञानिक दृष्टिकोण और स्वभाव के लिए भी ऐसा करना जरूरी है। मुझे उम्मीद है कि हमारे वैज्ञानिक और शिक्षक इस बात पर गंभीरतापूर्वक मनन करेंगे कि हम अपने समाज के दृष्टिकोण में ऐसा बदलाव कैसे कर सकते हैं।

इस साल, हमारी सरकार ने प्रोफेसर सीएनआर राव को सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न के लिए चुना है। आइए इसे ऐसा माहौल बनाने की दिशा में पहला कदम बनाएं जो भारतीय विज्ञान के क्षेत्र में अनेक भारत रत्न को जन्म दे। यही मेरी इच्छा है और यही मेरी प्रार्थना।

धन्यवाद। जय हिंद।"