भाषण [वापस जाएं]

October 29, 2013
अहमदाबाद, गुजरात


सरदार वल्लभ भाई पटेल संग्रहालय के उद्घाटन समारोह के अवसर पर प्रधानमंत्री का संबोधन

Following is the text (in Hindi) of the Prime Minister, Dr. Manmohan Singh’s address at the inauguration of Sardar Vallabhbhai Patel Museum in Ahmedabad today:-

“आज हम सब भारत और गुजरात के एक महान सपूत के सम्मान में यहाँ इकट्ठा हुए हैं। मैं इसको अपना सौभाग्य मानता हूं कि मुझे सरदार वल्लभ भाई पटेल संग्रहालय के उद्घाटन समारोह में भाग लेने का अवसर मिला है।

सरदार साहब हमारे देश के सबसे बड़े नेताओं में से एक माने जाते हैं। उन्होंने आज़ादी की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की और आज़ादी के बाद भारत के उप प्रधान मंत्री के रूप में राजाओं और नवाबों की 500 से अधिक रियासतों को भारत में शामिल करने के काम का नेतृत्व किया। यह कहना ग़लत नहीं होगा कि आज दुनिया जिस एक और अखंड भारत को जानती है उसकी बुनियाद रखने में सरदार वल्लभ भाई पटेल का बहुत बड़ा योगदान था। उनकी इच्छा शक्ति और शासन क्षमता अनोखी थीं और इसीलिए उन्हें लौह पुरुष के नाम से जाना जाता है।

सरदार पटेल जी का नज़रिया पूरी तरह से धर्मनि‍र्पेक्ष था। उन्हें भारत की अखंडता में गहरा विश्वास था। उन्होंने कहा था कि पूरा भारत उनका गांव है और सभी संप्रदाय के लोग उनके दोस्त और रिश्तेदार हैं।

सरदार पटेल जी एक जमीन से जुड़े हुए नेता थे। उनका जन्म गुजरात के एक ग्रामीण इलाके में हुआ उन्होंने हमेशा सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए लोगों और ख़ास तौर पर किसानों की भलाई के लिए उम्रभर काम किया। खेड़ा, बलसाड़ और बारदोली के किसानों को उन्होंने जिस तरह से संगठित करके सवि‍नय अवज्ञा आंदोलन में शामिल किया उसे आज भी याद किया जाता है।

यह हम सबका सौभाग्य है कि हम सरदार पटेल जैसे नेता के काम और जीवन से सीख और प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं। मुझे इस बात की और भी खुशी है कि मैं जिस राजनैतिक दल का सदस्य हूं, सरदार पटेल का संबंध भी उसी राजनैतिक दल से रहा था। उन्होंने ज़िंदगी भर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को मज़बूत बनाने के लिए भरपूर काम किया। वह कांग्रेस के करांची अधि‍वेशन में पार्टी के अध्यक्ष भी चुने गये।

हम सबका यह कर्तव्य बनता है कि हम अपने देश की जनता को और ख़ासकर नौजवानों को सरदार पटेल के जीवन और उपलब्धियों से और बेहतर तरीके से वाकि़फ़ कराएं ताकि वह उन आदर्शों और मूल्यों को अपना सकें जिनका पालन सरदार पटेल ने जीवन भर किया।

मेरा मानना है कि आज जिस संग्रहालय का उद्घाटन हो रहा है वह इसी दिशा में काम करेगा। मैं सरदार वल्लभ भाई पटेल मेमोरि‍यल सोसायटी के अध्यक्ष और मेरे कैबिनेट साथी श्री दिनशा पटेल और उनकी टीम को संग्रहालय के निर्माण के लिए और राष्ट्रीय स्मारक को उन्‍नत करने के लिए हार्दिक बधाई देता हूं।

इस संग्रहालय में सरदार पटेल और आज़ादी की लड़ाई से संबंधित लगभग 1000 से ज्यादा फोटो, सरदार पटेल के भाषण, उनके पत्र और उनके व्यक्तिगत उपयोग में आई वस्तुएं उपलब्ध रहेंगे। अब से इस राष्ट्रीय स्मारक में भारत के स्वतंत्रता संग्राम पर एक 3D साउंड एण्‍ड लाईट कार्यक्रम का आयोजन भी हुआ करेगा।

आज़ादी की लड़ाई और आज़ादी के बाद के कुछ वर्षों में जिन नेताओं ने हमको नेतृत्व प्रदान किया उनका कद निश्चय ही बहुत ऊँचा था। महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद कुछ ऐसे नाम हैं जिनके बारे में सोचकर हमें गर्व होता है। इन सभी नेताओं की सोच में बहुत सी बातें एक जैसी थीं जैसे भारत की एकता में अटूट विश्वास, एक धर्मनि‍र्पेक्ष और उदार नज़रिया, गरीबों और कमज़ोर लोगों के प्रति संवेदना, सहनशीलता और अपने से अलग विचारधाराओं का आदर। मैं समझता हूं कि आज जो लोग यहां उपस्थित हैं वह इस बात से सहमत होंगे कि ये ऐसे आदर्श हैं जिनकी आज हमारे देश में कुछ कमी दिखाई देती है। और इसलिए यह और भी ज़रूरी हो जाता है कि हम समय-समय पर रुक कर यह याद करें कि वह कौन सी महान सोच है जिसकी बुनियाद पर हमारे देश भारत का निर्माण हुआ है।

मैं अपनी बात खत्म करने से पहले सरदार पटेल के महात्मा गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ किस प्रकार के संबंध थे इसका ज़िक्र करना चाहूंगा। सरदार पटेल जी का मानना था कि महात्मा गांधी उनको उसी तरह का प्यार देते हैं जैसे उन्हें अपने पिता से मिलता। और गांधी जी भी सरदार पटेल को अपने बेटे की तरह मानते थे। दोनों नेताओं ने यरवदा जेल में 1930 के दशक में 16 महीने साथ गुज़ारे। सरदार पटेल का कहना था कि यह 16 महीने बापू के साथ की वजह से बहुत खुशी में गुज़रे।

पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में आज़ादी के बाद, जो सरकार बनी उसमें सरदार पटेल उप प्रधान मंत्री रहे। कई बार दोनों के बीच मतभेदों का ज़िक्र आता है। लेकिन यह याद रखना बहुत ज़रूरी है कि दोनों के बीच सहमति के विषय कहीं ज़्यादा थे और दोनों नेता एक दूसरे के विचारों का बहुत सम्मान करते थे। इस संबंध में खुद सरदार पटेल जी के शब्दों को मैं दोहराना चाहूंगा। उन्होंने कहा था – शासन और संगठन के क्षेत्रों में बहुत सारी समस्याओं के बारे में पंडित नेहरू को सलाह देना मेरा सौभाग्य रहा है। मैंने उन्हें सलाह लेने के लिए हमेशा उत्सुक पाया है ... हमने उम्र भर के दोस्तों और सहयोगियों की तरह काम किया है – और स्थिति की मांग के अनुसार एक दूसरे के नज़रिए से समझौता किया है। हमने हमेशा एक दूसरे की सलाह का सम्मान किया है और ऐसा वह लोग ही कर सकते हैं जिन्हें एक दूसरे के ऊपर पूरा-पूरा भरोसा हो।

सरदार पटेल जैसे महान नेता को शब्दों में बयान करना कोई आसान काम नहीं है। उनकी मृत्यु के बाद केंद्रीय केबि‍नेट ने जो प्रस्‍ताव अपनाया वह इस कोशिश में शायद कुछ हद तक कामयाब होता है। मैं उस प्रस्‍ताव के कुछ शब्द अंग्रेजी में दोहराना चाहूंगा... और ये शब्द ऐसे हैं:

"A great Indian and an unmatched warrior in the course of freedom, a lover of India, a great servant of the people and a statesman of genius and mighty achievement."

प्रस्‍ताव में बताया गया था कि रियासतों को भारत में शामिल करने के काम में किस तरह से सरदार पटेल जी ने काम किया ... प्रस्‍ताव में कहा गया था:

"... he fixed his goal, a united India, and set about to achieving it with skill and determination."

मैं समझता हूं कि सरदार पटेल का सम्मान करने का सबसे अच्छा तरीका यह होगा कि हम सब उनके सपनों को साकार करने के लिए भरपूर काम करें। मैं अंत में सरदार वल्लभ भाई पटेल जी को एक बार फिर श्रद्धांजलि देता हूं।

जय हिन्द।”