भाषण [वापस जाएं]

June 29, 2012
पुडडुचेरी


पुडडुचेरी में दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग के लिए यूनेस्‍को मदनजीत सिंह संस्‍थान में दिए गए प्रधानमंत्री के भाषण के अंश

दक्षिण एशिया में शांति और विकास के लिए समर्पित लोगों के बीच आकर मैं अपने आपको बहुत भाग्‍यशाली मान रहा हूँ। मुझे दुःख है कि खराब स्‍वास्‍थ्‍य के कारण श्री मदनजीत सिंह आज शाम हमारे बीच नहीं आ सकें हैं। मैं मैडम फ्रांस मार्कक्वेट का हद्य से स्‍वागत करता हूँ जो बहुत सालों से उनकी सहयोगी और साउथ एशियाई फाउंडेशन की न्‍यासी हैं। मैं उनसे आग्रह करता हॅूं कि वे श्री मदनजीत को हमारी ओर से जल्‍दी स्‍वस्‍थ्‍य होने की कामना प्रेषित कर दें।

अब से कुछ ही सप्‍ताह बाद हम भारत की स्‍वतंत्रता की 65वीं वर्षगांठ मनाएंगे। औपनिवेशिक शासन के खिलाफ आजादी के संघर्ष् में उच्‍च स्‍तर की आदर्शवादिता शामिल थी जिसने लोगों को एक दूसरे जोड़ा। न केवल हमारे उप महाद्वीप बल्कि एशिया और अफ्रीका के अन्‍य भागों में भी यह जुड़ाव रहा। लेकिन आजादी के उल्‍लासोन्‍माद और जोश के साथ- साथ मानवीय त्रासदी भी उठानी पड़ी। मदनजीत सिंह ने भी उस पीढ़ी के हम जैसे अन्‍य लोगों के साथ एक युवा के तौर पर अपनी आंखों से विभाजन के सदमे और संत्रास को देखा। जब भी मैं विभिन्‍न क्षेत्रों में लगे दक्षिण एशियाई नागरिकों से मिलता हूं वे हमेशा उस इच्‍छा के बारे में बताते है कि वे हमारे देशों में शांति पूर्ण तरीके से रहना और एक समान प्रगति के लिए साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। मैं नहीं समझता कि इस स्‍वप्‍निल लक्ष्‍य को पाने के लिए मेरे मित्र मदन जीत सिंह से अधिक और किसी ने प्रयास किया होगा। वर्ष 2000 में श्री सिंह ने साउथ एशिया फाउंडनेशन की स्‍थापना की थी ताकि प्रगतिशील दक्षिण एशिया की स्‍वप्‍न के साथ हमारे क्षेत्र के समान समझ रखने वाले सभी पुरूष और महिलाएं इसमें अपनी ऊर्जा समर्पित कर सकें। साउथ एशिया फाउंडनेशन, यूनेस्‍को मदनजीत सिंह इंस्‍टीट्यूशन्‍स के जरिए क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने को समर्पित है। इसे दक्षिण एशिया के विभिन्‍न्‍देशों में स्‍थापित किया गया है। इनमें से प्रत्‍येक संस्‍था उस देश की किसी जानीमानी हस्‍ती के नेतृत्‍व में कार्य कर रहा है। इनमें से 6 यहां पुडडुचेरी में मौजूद हैं। मैं दक्षिण एशिया के इन सभी सम्‍मानित नागरिकों का बहुत गर्मजोशी स्‍वागत करता हूँ। मुझे खुशी है कि म्‍यांमा में भी जल्‍दी ही इस फाउंडनेशन की एक शाखा खुलने वाली है। मैं हाल ही म्‍यांमा में था और दक्षिण एशिया के अन्‍य देशों के साथ संपर्क मजबूत करने और बढ़ाने के प्रति वहां के लोगों के उत्‍साह से मैं काफी प्रभावित हुआ था।

भारत सार्क के विचार के प्रति पूरी तरह समर्पित है। हाल की इसकी शिखर स्‍तरीय वार्ताओं में मैंने दक्षिण एशियाई नेताओं में इस संगठन के कामकाज के प्रति और अधि‍क प्रतिबद्धता देखी। मुझे खुशी है कि दक्षिण एशिया के विचार के प्रतीक समझे जाने वाले अहम पहल अब आकार ले रहे हैं। दक्षिण एशिया विश्‍ववि‍द्यिालय ने काम करना शुरू कर दिया है और जल्‍द ही दिल्‍ली से कुछ ही दूरी पर इसका अपना एक पूरा परिसर होगा। सार्क वि‍कास फंड का भी कामकाज आरंभ हो गया है और इसने सामाजिक परियोजनाओं पर अमल शुरू कर दिया है। लेकिन हमें अभी भी खाद्य, ऊर्जा, जल सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, स्‍वास्‍थ्‍य और शिक्षा के क्षेत्र में एक समग्र तथा क्षेत्रीय दृष्टि से और निकटता से आपस में सहयोग करना होगा। भारत मजबूत और प्रभावी क्षेत्रीय सहयोग के लिए तंत्र के तौर पर बेहतर रूप से जुड़े सार्क के निर्माण के प्रति पूर्णरूप से समर्पित है।