भाषण [वापस जाएं]

April 13, 2012
पंचकुला, हरियाणा


जोनल कल्‍चरल सेन्‍टर्स की 25वीं सालगिरह के समारोह में प्रधान मंत्री जी का भाषण

प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सि‍हं ने आज पंचकुला, हरि‍याणा में जोनल कल्‍चरल सेन्‍टर्स की 25वीं सालगि‍रह के सहारोह को संबोधि‍त कि‍या । प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ इस प्रकार है :

“मुझे खुशी है कि जोनल कल्‍चरल सेन्‍टर्स की सि‍ल्‍वर जुबली मनाने के लिए आयोजित इस समारोह में शामिल होने का मौका मिला है। हमारे देश के बहुत से महान नेताओं ने हमारी सांस्कृतिक विरासत कायम रखने के लिए काफी योगदान दिया। पंडि‍त जवाहरलाल नेहरू और मौलाना अबुल कलाम आजाद ने 1950 में इंडि‍यन काउंसि‍ल ऑफ कल्‍चरल रि‍लेसन्‍स की शुरुआत की थी ताकि दूसरे देशों के साथ कल्‍चर के क्षेत्र में हमारे ताल्लुकात बढ़ाए जा सकें। कल्‍चर और संस्‍कृति‍ को बढ़ाने में श्रीमति‍ इंदि‍रा गॉंधी जी ने भरपुर योगदान दि‍या और इंदिरा जी ने 1971 में कल्‍चर के लिए एक अलग डि‍पार्टमेंट बनाने का भी एलान किया।

जोनल कल्‍चरल सेन्‍टर्स की स्थापना हमारे प्रिय नेता स्वर्गीय श्री राजीव गांधी जी की पहल पर की गई थी। राजीव जी के मन में भारत की संस्कृति के प्रति बेहद ही लगाव था। उनकी इच्छा थी कि भारत की जनता अपनी सांस्कृतिक विरासत को और अच्छी तरह समझे और जाने, और उस पर गर्व महसूस करे। उनका मानना था कि देश के आम नागरिक को भी हमारी सांस्कृतिक परंपराओं जैसे कि‍ डांस, नाटक, संगीत और ललित कलाओं की खूबियों को समझने और सराहने का मौका मिलना चाहिए। यही वजह थी कि वह इन केन्द्रों में गहरी रुचि लेते थे और मुझे बताया गया है कि‍ वे खुद डायरेक्‍टर्स से मिलकर काम-काज का जायज़ा लेते रहते थे।

जोनल कल्‍चरल सेन्‍टर्स ने देश के परम्परागत लोक कलाकारों के हुनर को निखारने में बहुत ही मदद की है। भारत के दूरदराज इलाकों के उन कलाकारों को देश के अलग-अलग हिस्सों में अपनी कला का प्रचार-प्रसार करने का जो मौका मिला है उसके लि‍ए उन्‍हें बधाई देता हूँ । इन केन्द्रों ने नए लोकप्रिय प्रोग्राम भी आम लोगों तक पहुंचाने का भी योगदान दि‍या है । इनमें गुरु-शिष्य परंपरा, द नेशनल कल्‍चरल एक्‍सचेंज प्रोग्राम और देश के विभिन्न भागों में आयोजित किया जाने वाला लोकप्रिय सांस्कृतिक कार्यक्रम ऑक्‍टेव शामिल हैं।

पिछले 25 वर्षेां में, मनोरंजन के बहुत से नए साधन और तकनीकें विकसित हुई हैं। मेरा मानना है कि इनके मद्देनजर जोनल कल्‍चरल सेन्‍टर्स को भी अपने कार्यक्रमों और काम-काज के तरीकों में जरूर बदलाव लाना होगा।

हमारी सरकार ने जोनल कल्‍चरल सेन्‍टर्स के काम-काज की समीक्षा करने के लिए श्री मणिशंकर अय्यर की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी ने अपना काम पूरा कर लिया है। मैं श्री अय्यर और उनके सहयोगियों को उनके अच्छे सुझावों के लिए बधाई देता हूं। मि‍नि‍स्‍ट्री ऑफ कल्‍चर इस कमेटी की रिपोर्ट की जांच कर रही है और मुझे उम्मीद है कि कमेटी की सिफारिशों पर जल्दी ही कार्रवाई की जाएगी।

ये देखा गया था कि केन्द्रों द्वारा ज्यादातर कार्यक्रम शहरी क्षेत्रों में किए जा रहे थे। इसलिए, अय्यर जी की कमेटी ने सिफारिश की है कि केन्द्रों द्वारा खर्च की जाने वाली राशि का कम-से-कम 70 प्रतिशत गांवों, कस्बों और शहरी झुग्गियों में आयोजित कार्यक्रमों में खर्च होना चाहिए।

कमेटी की एक सिफारिश यह भी है कि इन केन्द्रों को उन कलाओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए जिनका वजूद कुछ खतरे में है। हमें देश के ग्रामीण इलाकों की परंपरागत कलाओं को बचाना चाहिए और उन्हें आगे बढ़ाना चाहिए। टीवी और इंटरनेट के सहारे उन कलाओं को नया मंच दिया जा सकता है। इसके लिए जोनल कल्‍चरल सेन्‍टर्स को अपने कार्यक्रमों के प्रोडक्‍शन और प्रजेंटेसन को बेहतर बनाने की जरूरत है।

भारत की सबसे बड़ी ताकत उसकी अनेकता में एकता है। यदि हम सब अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करें तो हमारे लोगों के बीच एकता बढ़ेगी। हम एक-दूसरे के कल्‍चर्स का आदर तभी कर पाएंगे जब हमें इसके बारे में जानकारी प्राप्त करने का मौका मिले। जोनल कल्‍चरल सेन्‍टर्स को इस काम में अहम भूमिका निभानी होगी।

हमारी सरकार देश में सांस्कृतिक विकास को प्राथमिकता देती है। पिछले कुछ वर्षेां से हमने अपने पुराने मॉनुमेंट्स को आधुनिक तरीके से बचाकर रखने का प्रयास किया है। हमने अपने म्‍यूजि‍यम और लायब्रेरि‍ज की स्थिति में सुधार लाने के लिए भी नई तकनीक अपनाई है। हमने कला के विद्वानों और कलाकारों की मदद के लिए आर्थिक सहायता में भी बढ़ोत्‍तरी की है। हम इस दिशा में भविष्य में भी काम करते रहेंगे।

अपनी बात समाप्त करने से पहले, मैं सातों जोनल कल्‍चरल सेन्‍टर्स को एक बार फि‍र अपनी शुभकामनाएं देना चाहूंगा। मैं आशा करता हूं कि भविष्य में ये केंद्र कला और संस्कृति के क्षेत्र में पहले से भी बेहतर काम करेंगे।”