संसद में प्रधान मंत्री[वापस जाएं]

March 8, 2013
नई दिल्‍ली

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्य सभा में बहस पर प्रधानमंत्री का जवाब

सभापति महोदय, मैं इस सम्मानित सदन के सभी सदस्यों के साथ माननीय राष्ट्रपति जी को उनके अभिभाषण पर धन्यवाद देता हूं। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस जोरदार और व्यापक रही है। मैं उन सभी सदस्यों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने इस बहस में भाग लिया।

सभापति जी, एक दिन विपक्ष के नेता ने यूपीए सरकार की उपलब्धियों को नकारते हुए टैसिटस को उद्धृत किया था क्योंकि जाहिर तौर पर वे टैसिटस को बहुत पसंद करते हैं। मुझे आशा है कि यदि मैं भी टैसिटस को ही उद्धृत करूं तो वे बुरा नहीं मानेंगे। टैसिटस ने यह भी कहा था और मैं उसे उद्धृत करता हूं, “ जब मनुष्य ईष्या से भरे होते हैं तो वे सबकुछ तुच्छ समझते हैं चाहे वह अच्छा हो या बुरा।“

सभापति महोदय, विपक्ष के नेता बुद्धिमान और विवेकपूर्ण व्यक्ति हैं। मैं उनसे अपील करता हूं कि वे सिर्फ राजनीतिक नज़रिए के बजाय व्यापक राष्ट्रीय हित पर विचार करते हुए यूपीए सरकार के प्रदर्शन के बारे में अपनी श्रेष्ठ भावना के साथ निर्णय लें।

महोदय, श्री जेटली ने जोरदार भाषण दिया है और उन्होंने जो बिंदु उठाए हैं मैंने वे पूरी दिलचस्पी से सुनें।

उनके पहले बिंदु जिससे मैं सहमत हूं कि यदि हमें लंबे समय से चली आ रही गरीबी और हमारे युवाओं के बड़े पैमाने पर बेरोजगारी से छुटकारा पाना है तो हमारे देश को 8-9 प्रतिशत वृद्धि दर की जरूरत है। उन्होंने यह भी सही कहा कि इसके लिए तीव्र औद्योगीकरण की जरूरत होगा। मैं उनकी इस बात से भी सहमत हूं। मैं इस सदन को याद दिलाना चाहूंगा कि स्पष्ट रूप से यूपीए सरकार की यह मंशा है। और बहुत समय पहले नब्बे के दशक में जब कांग्रेस सरकार सत्ता में थी तो हमने अपनी अर्थव्यवस्था को उदार बनाया, हमने तीव्र औद्योगीकरण के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए आर्थिक सुधारों को पथ अपनाया। हमने उन नियमों और शर्तों को भी उदार बनाया जिनके आधार पर भारत के सामान को दुनिया में कहीं भी सही बाजार मिल सके। साथ ही, सरकार की बुद्धि के बारे में बहुत से संदेह भी प्रकट किए गए हैं तथा मुझे दोनों सदनों में हुई बहस याद है जब विपक्षी सदस्यों ने उस बजट पर सवाल उठाए थे जो मैंने 1992 में पेश किया था। उनका कहना था कि यह बजट दिल्ली में नहीं बल्कि वाशिंगटन में बनाया गया है। लेकिन तब से ही, तीन सरकार आईं। कांग्रेस सरकार 1996 में सत्ता से बाहर हो गई। उसके बाद संयुक्त मोर्चा सरकार और फिर भाजपा-एनडीए सरकार बनी। तथ्य यह है कि सरकारों में बदलाव, वामपंथी दलों के उदय, भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगियों के उदय के बावजूद सुधारों की दिशा में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। सभी राजनीतिक दलों, विपक्ष ने भी आर्थिक सुधारों की कसमें खाई और कहा कि हमारे देश में विकास की पूरी क्षमता से लाभ उठाने के लिए आर्थिक सुधारों की जरूरत है।

मुझे पूरी विनम्रता से आशा और भरोसा था कि जब विपक्ष के नेता और उनके सहयोगी उस हालात का वर्णन करेंगे जिनका हमने अपने वर्तमान कार्यकाल के दौरान सामना किया, तो यह निष्कर्ष भी निकालेंगे कि हमने जो राह चुनी वह सही थी। विपक्ष के नेता ने यह कहते हुए शुरुवात की कि यूपीए सरकार को तीव्र आर्थिक वृद्धि की राह विरासत में मिली थी और हमने उसे अव्यवस्थित कर दिया। मैं माननीय विपक्ष के नेता को याद दिलाना चाहूंगा कि जिस सरकार में वे 1998-99 से 2003-04 में रहे उसके शासन के दौरान 2000-01 में आर्थिक वृद्धि की दर 7.6 प्रतिशत, 2001-02 में 4.3 प्रतिशत, 2002-03 में 5.5 प्रतिशत थी तथा सिर्फ 2003-04 में ही आर्थिक वृद्धि दर ने तेजी पकड़ी तथा हमारे शासन के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 8.1 प्रतिशत रही। इसकी तुलना में यदि हम यूपीए के नौ वर्ष के शासनकाल को देखें तो आर्थिक वृद्धि की दर 2005-06 में 7 प्रतिशत, 2006-07 में 9.5 प्रतिशत, 2007-08 में 9.6 प्रतिशत, 2008-09 में 9.3 प्रतिशत, 2009-10 में 6.7 प्रतिशत, 2010-11 में 8.6 प्रतिशत, 2011-12 में 9.3 प्रतिशत और फिर 6.2 प्रतिशत रही तथा सिर्फ वर्तमान वर्ष 2012-13 में ही यह 5 प्रतिशत से नीचे गई। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में राय प्रकट की कि, ” हमें विश्वास नहीं है कि धीमी आर्थिक वृद्धि दर वहां स्थिर रहेगी जहां यह आज है। हमारा पूरा इरादा है कि आर्थिक वृद्धि दर को तेज करने के लिए हम सभी नीतिगत उपाय करेंगे तथा हमें आशा है कि अगले दो या तीन वर्ष में अर्थव्यवस्था एक बार फिर 7-8 प्रतिशत वृद्धि दर हासिल करेगी।”

विपक्ष के नेता ने कौन सा मुख्य बिंदु उठाया था ? उन्होंने कहा कि हम पहले संकट पैदा करते हैं और अब, हम संकट हल करने की कोशिश कर रहे हैं। यह बात स्पष्ट रूप से उस खर्च के बारे में कही गई थी जो यूपीए सरकार ने अपने खर्च के पैटर्न में सामाजिक संतुलन लाने, और अर्थव्यवस्था के सामाजिक क्षेत्रों पर ज्यादा ध्यान देने के लिए पिछले नौ साल के दौरान किया। श्री जेटली ने बहुत व्यंग्य से कहा कि यूपीए सरकार ने पहले तो खर्च को बेलगाम बढ़ने दिया और अब, वित्तीय अनुशासन लागू करने का श्रेय लेना चाहती है।

महोदय, हमें सामाजिक क्षेत्र में किए गए खर्च पर गर्व है। हमें उन कार्यक्रमों में खर्च बढ़ाने का गर्व है जो आम आदमी, खासतौर से हमारे समाज के कमजोर वर्गों के लिए खर्च बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित की। हमें उन कार्यक्रमों में खर्च बढ़ाने का गर्व है जो गरीबों को आजीविका सुरक्षा उपलब्ध कराते हैं। हमें समावेशी विकास के अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए किए गए सभी विनम्र प्रयास करने पर गर्व है। स्वास्थ्य क्षेत्र पर ही गौर कीजिए। हमने 2003-04 में करीब 7,500 करोड़ रुपये से बढ़ाया जो एनडीए सरकार का अंतिम वर्ष था। यह खर्च बढ़ाकर हमने 2011-12 में करीब 27,000 करोड़ रुपये कर दिया। यह साढ़े तीन गुणा वृद्धि है। सर्व शिक्षा अभियान में खर्च 2003-04 में 2,730 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2011-12 में 20,841 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इसके परिणाम हर किसी को नजर आ रहे हैं। मैं यहां उन सभी संकेतकों का उल्लेख करना नहीं चाहता जिनसे हमारी कामयाबी का पता चलता है। मैं इस सदन से यह भी कहना चाहता हूं कि हम इन योजनाओं और कार्यक्रमों को समर्थन देना जारी रखेंगे।

श्री जेटली ने एनडीए सरकार द्वारा शुरू किए गए कार्यक्रमों का जिक्र किया। उस दौरान जो भी अच्छे कार्यक्रम थे हमने उन्हें आगे बढ़ाना जारी रखा। उदाहरण के तौर पर, सर्व शिक्षा अभियान का मामला देखें। वर्ष 2003-04 में इस पर वास्तविक खर्च का अनुमान 2,730 करोड़ रुपये था जिसे हमने बढ़ाकर 2012-13 में 21,907 करोड़ रुपये कर दिया।

जहां तक मध्याह्न भोजन कार्यक्रम की बात है, 2003-04 में इस पर 1,325 करोड़ रुपये खर्च किए गए और वर्तमान वर्ष में हमने इसका खर्च बढ़ाकर 9,890 करोड़ रुपये कर दिया।

जो बात मैं यहां उठाना चाहता हूं वह यह है कि एनडीए के कार्यकाल के दौरान नाममात्र का प्रावधान था। हालांकि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए भारीभरकम नाम इस्तेमाल किया जा रहा था लेकिन इस कार्यक्रम के लिए बहुत, बहुत कम पैसा आवंटित किया गया था।

इसलिए, जिन क्षेत्रों में वह खर्च किया गया वहां इससे बहुत कम क्षमता का लाभ उठाया जा सका। उदाहरण के लिए, पीएमजीएसवाई का मामला ही ले लीजिए। 2001-02 से 2003-04 तक एनडीए के कार्यकाल में 9,682 करोड़ रुपये जारी किए गए। 2009-10 से 2012-13 तक यूपीए के दूसरे कार्यकाल में इसके लिए 56,251 करोड़ रुपये जारी किए गए। यूपीए-1 के दौरान, 2004-05 से 2008-09 में इसके लिए 38,637 करोड़ रुपये जारी किए गए। आप ग्रामीण विकास को देखें या सड़क कार्यक्रम सहित बुनियादी ढांचे पर गौर करें, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण इस दिशा में अच्छा कार्य कर रहा है। यूपीए सरकार के तहत खर्च में शानदार वृद्धि हुई है। हम इसके लिए कतई शर्मिंदा नहीं हैं। कार्यक्रम का प्रबंध जिस तरह से किया जा रहा है उसके बारे में कुछ समस्याएं हो सकती हैं लेकिन खासतौर से पहली बार इतनी बड़ी राशि खर्च की जा रही हो तो कुछ समस्याएं तो होती ही हैं। मैं इस बात से इन्कार नहीं करता कि समस्याएं नहीं हैं लेकिन और भी समस्याएं हैं, तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था विकास की पूरी क्षमता हासिल करने का प्रयास कर रही है और उसकी राह में कई समस्याएं हैं। इसलिए मैं पूरे आदर के साथ विपक्ष के नेता से कहना चाहूंगा कि उन्हें यूपीए सरकार के प्रदर्शन का आकलन करते समय ज्यादा वस्तुपरक होना चाहिए। वह वृद्धि दर हो या फिर कृषि विकास से निपटना अथवा औद्योगीकरण की गति तेज करने का प्रयास, यूपीए सरकार का रिकार्ड अपने आप इसका प्रमाण है। मैं नहीं समझता कि इस मामले में विस्तार से कुछ कहने की जरूरत है।

श्री अरुण जेटली ने आतंकवाद की समस्या और राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधी केंद्र की भूमिका का जिक्र किया। मुझे विश्वास है कि इस नज़रिए के बारे में कोई दो राय नहीं है कि हमें आतंकवाद से कोई समझौता नहीं करना चाहिए। मुझे आशा और विश्वास है कि जब आतंकवाद से निपटने की बात आती है तो सभी राजनीतिक दल एक सुर में सुर मिलाते हैं और मिलाते रहेंगे। व्यापक राष्ट्रीय आमसहमति बनाने के बारे में हमारे प्रयास जारी रहेंगे। हम एनसीटीसी के प्रस्ताव को सार्थक और ठोस बनाने के लिए राज्य सरकारों के साथ काम करते रहेंगे। जम्मू-कश्मीर में विकास के संदर्भ में, मैं इस सदन में एक बार फिर यह कहना चाहूंगा कि हमारी नीति राष्ट्रीय आमसहमति तैयार करने की नीति पर आधारित है और हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे जो राष्ट्रीय हित के विरुद्ध हो। जम्मू-कश्मीर के लोगों की बेहतरी के लिए नीतियां तैयार करने में हम निरंतर और राष्ट्रीय अर्थव्यस्था एवं राष्ट्रीय नीति के अनुरूप हम हमेशा पूरी दिलचस्पी लेते रहेंगे।

श्री राम गोपाल यादव ने कृषि क्षेत्र पर दिए जा रहे ध्यान को बढ़ाने की आवश्यकता का जिक्र किया तथा मैं इस चिंता में उनके साथ हूं कि हमारी कृषि के विकास के लिए और अधिक प्रयास किए जाने चाहिए। पिछले आठ या नौ वर्ष में कृषि का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है तथा ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में कृषि उत्पादन की वृद्धि दर 3.7 प्रतिशत थी जबकि इसकी तुलना में पिछली दो योजनाओं अर्थात नवीं और दसवीं योजना में यह 2.4 और 2.5 प्रतिशत थी। लेकिन इस बात से कोई इन्कार नहीं कर सकता कि हमारी कृषि के विकास के लिए और अधिक ध्यान देने की जरूरत है तथा मुझे खुशी है कि कुछ बीमारू राज्य भी अच्छे परिणाम दिखा रहे हैं। आज बिहार की वृद्धि दर सभी राज्यों में सबसे अधिक है। लेकिन बिहार हो या मध्यप्रदेश शुरुवात तो नीचे से ही होनी चाहिए। कुछ ऐसे राज्य भी हैं जो पिछड़े हैं। लोग और सरकारें अब पिछड़ेपन की समस्या से निपटने के लिए ज्यादा कारगर प्रयास कर रहे हैं। यदि वे कामयाब हुए तो उनकी सफलता पर हम सबको खुशी होगी और किसी को भी कृषि के विकास के लिए ज्यादा संसाधन आवंटित करने के लिए आदरणीय दोस्त और सहयोगी श्री शरद पवार के महत्वपूर्ण योगदान को नहीं भूलना चाहिए। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक का प्रभाव पड़ा है तथा यह तथ्य है कि वृद्धि की प्रक्रिया, खासतौर से कृषि में सकारात्मक नजर आ रही है। कई पिछड़े राज्यों में सकारात्मक रुझान ऐसा है जिस पर हम खुश हो सकते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि और अधिक किया जा सकता है तथा किया जाएगा और हमारी सरकार ऐसे क्षेत्रो में हमारे किसानों की जरूरतें पूरी करत रहेगी जहां सूखा है, जहा अभाव है और जहां पेयजल की कमी है। हम कारगर नीतियों और कार्रवाई के साथ इन आपदाओं से निपटने में राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करते रहेंगे।

महोदय मैं आपका ज्यादा समय नहीं लेना चाहता। श्री अरुण जेटली ने अपने भाषण के अंत में विदेश नीति का जिक्र किया तथा मुझे यह कहना चाहिए कि हमारा पड़ोस अस्थिर है। इसलिए हमें चौकस रहना होगा लेकिन हम अपने राष्ट्रीय हितों से कभी समझौता नहीं करेंगे। हम अपने पड़ोसियों को समृद्ध देखना चाहते हैं, हम पड़ोसियों की प्रगति में हाथ बंटाना चाहते हैं और मुझे पूरी आशा है कि हम सार्क क्षेत्र को पहले से कहीं ताकतवर बनाने के लिए पड़ोसियों के साथ मिलकर काम करेंगे।

श्रीलंका में समस्याएं हैं। हमने श्रीलंका में तमिल आबादी के भविष्य के बारे में चिंता प्रकट की है। हमारा पूरा प्रयास रहा है कि श्रीलंका सरकार राजनीतिक सुलह-सफाई करे, और राजनीतिक सुलह-सफाई के बिना हालात शांत नहीं किए जा सकते तथा इसलिए श्रीलंका सरकार को श्रीलंका में तमिल लीडरशिप से बात करने की पहल करनी चाहिए। श्रीलंका के तमिल लोगों को देश के समान नागरिकों की तरह प्रतिष्ठा और आत्मसम्मान का जीवन जीने का मौका मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए हम श्रीलंका सरकार के साथ पूरे प्रयास करेंगे।

पाकिस्तान के संबंध में हमने अपने संबंध सामान्य बनाने के लिए पूरे प्रयास किए हैं। हमने इस संबंध में कुछ प्रगति की है। लोगों की आवाजाही बढ़ी है। व्यापार संबंधों में सुधा हुआ है। लेकिन पाकिस्तान में अब भी मौजूद आतंकी मशीनरी को काबू किए बिना दोनों देशो में बीच संबंध सामान्य नहीं हो सकते। पिछले नौ वर्ष के दौरान हमारी यही नीति रही है तथा इसी नज़रिए के साथ आने वर्षों में पाकिस्तान के साथ संबंध बेहतर बनाने का प्रयास करते रहेंगे।

हमें बेहद खुशी है कि हमारे राष्ट्रपति की बंग्लादेश यात्रा की बंग्लादेश सरकार और वहां की जनता ने बहुत सराहना की है। दोनों देशों के बीच करीबी संबंध हैं और मुझे पूरी आशा है कि दोनों देशों के बीच दोस्ती को प्रोत्साहन देने के माध्यम के रूप में यह सदन और दूसरा सदन जमीनी सीमा समझौते की पुष्टि करेगा जिस पर बंग्लादेश की प्रधानमंत्री ने मेरी बंग्लादेश यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए। यह ऐसा समझौता है जो सीमा पर शांति सुनिश्चित करेगा, जो अनिश्चितताएं दूर करेगा और मुझे विश्वास है कि यह ऐसा समझौता है जो दोनों देशों के हित में है। मुझे पूरी आशा है कि जब हम संसद के समक्ष यह विधेयक लाएंगे तो संसद सराहना के साथ इसका अनुमोदन करेगी।

महोदय, नेपाल के संबंध में कुछ अनिश्चितता है लेकिन हमें पूरी आशा है कि वहां शुरू किया गया बहुदलीय लोकतंत्र कायम रहेगा और फले-फूलेगा। हम बहुदलीय लोकतंत्र की प्रक्रिया और कार्य को मजबूत करने के लिए हम नेपाल सरकार और वहां की जनता के साथ काम करने का प्रयास कर रहे हैं।

मालदीव में, फरवरी 2012 की घटना के बाद दुर्भाग्यपूर्ण समस्याएं रही हैं। हमें विश्वास है कि राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कराना ही श्रेष्ठ उपाय है जो सितंबर 2013 में होने हैं। समावेशी प्रक्रिया के साथ वहां स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होने चाहिए तथा नए राष्ट्रपति को चुनने की प्रक्रिया में सभी लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। मुझे पूरी आशा है कि मालदीव सरकार और वहां की जनता संकट और अनिश्चितता के इस माहौल से बाहर निकल आएंगे।

सभापति महोदय, मैं आपका ज्यादा समय नहीं लूंगा। एक बार फिर मैं उन सभी आदरणीय सदस्यों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने इस बहस में भाग लिया। मैंने उन बिंदुओ पर ध्यान दिया है जो यहां उठाए गए हैं। हम बहस में उठाए गए मुद्दों पर ध्यान देंगे। इन शब्दों के साथ मैं एक बार फिर सदन से आग्रह करता हूं कि हम सब राष्ट्रपति के अभिभाषण पर उनको धन्यवाद दें।