भाषण
January 4, 2014
तिरूवनंतपुरम, केरल
पणिकर विज्ञान विकास केंद्र की ई-साक्षरता परियोजना के शुभारंभ के अवसर पर प्रधानमंत्री का भाषण
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आज तिरूवनंतपुरम में पणिकर विज्ञान विकास केंद्र द्वारा चलाई जाने वाली ई-साक्षरता परियोजना का शुभारंभ किया। इस अवसर पर दिए गए प्रधानमंत्री के भाषण का विवरण इस प्रकार है:-
"केरल में एक बार फिर आने पर मुझे प्रसन्नता है। सबसे पहले मैं आप सब को और केरल की जनता को नए वर्ष में प्रसन्नता, समृद्धि, सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
हम सभी जानते हैं कि मानव विकास के सूचकों की दृष्टि से केरल देश का एक अग्रणी राज्य है। साक्षरता इन सूचकों में से एक है। वास्तव में केरल देश में सबसे पहले साक्षरता में आगे रहा, जिससे मानव विकास के अन्य आयामों में भी बेहतर प्रदर्शन करने में उसे सहायता मिली है। केरल में साक्षरता आंदोलन की सफलता का मुख्य श्रेय केरल के महान सपूत श्री पी. एन. पणिकर को जाता है। आज इस ई-साक्षरता परियोजना का शुभारंभ करके मैं आप सब के साथ उन्हें अपने श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। यह परियोजना पी. एन. पणिकर विज्ञान विकास केंद द्वारा चलाई जाएगी। मैं केंद्र को भी इस पहल के लिए बधाई देता हूं।
आज तत्काल संचार और इंटरनेट की दुनिया में हम उस कठिनाई का अंदाजा भी नहीं लगा सकते, जो उस व्यक्ति को उस समय झेलनी पड़ी होगी, जिसने पिछली शताब्दी के पूर्वार्द्ध में उत्तरी केरल के एक छोटे से गांव में साक्षरता की ज्योति जलाई थी और बाद में अपने संदेश को पूरे राज्य में फैलाया था। इसके बाद श्री पणिकर की एक और पहल ग्रंथशाला संगम ने केरल में लोकप्रिय सांस्कृतिक आंदोलन की मशाल जलाई, जिसके परिणामस्वरूप केरल ने 1990 के दशक में पूर्ण साक्षरता प्राप्त कर ली।
ग्रंथशाला संगम ने 1945 में 47 पुस्तकालयों के साथ छोटी सी शुरूआत की थी, जो बाद में केरल के शहरों और कस्बों में फैलकर 6 हजार से अधिक पुस्तकालयों का नेटवर्क बन गया। श्री पणिकर ने अनौपचारिक शिक्षा और विकास के लिए केरल एसोसिएशन की भी स्थापना की। इन दोनों संगठनों की संयुक्त गतिविधियों ने केरल में शिक्षा, संस्कृति और विकास पर गहरा प्रभाव डाला।
श्री पणिकर ने अपने अंतिम वर्ष मैत्री ग्राम आंदोलन को समर्पित करके सामाजिक बंधुत्व और सद्भाव को मजबूत बनाने का कार्य किया। अपनी सीधी सादी गांधीवादी जीवन शैली और अपनी अदम्य इच्छा शक्ति के साथ वे तब तक यात्रा करते रहे और जोश के साथ काम करते रहे, जब तक 19 जून 1995 को उनका निधन नहीं हो गया।
मुझे इस बात की खुशी है कि केरल सरकार हर वर्ष 19 जून को वयनादिनम अर्थात् पठन दिवस के रूप में मनाती है और स्कूलों तथा सार्वजनिक संस्थाओं में सप्ताह भर तक कार्यक्रम होते हैं।
श्री पणिकर ने राष्ट्रीय स्तर पर भी अमिट छाप छोड़ी। राष्ट्रीय साक्षरता मिशन बहुत हद तक उनके कार्य से प्रेरित है।
श्री पी. एन. पणिकर की स्मृति को संजोए रखने के लिए एक संस्था की स्थापना करने पर मैं केरल सरकार की प्रशंसा करता हूं। मुझे बहुत खुशी है कि पी. एन. पणिकर विज्ञान विकास केंद्र राज्य सरकार तथा सभ्य समाज के संगठनों के साथ मिलकर केरल को देश का पहला ई-साक्षर राज्य बनाने की पहल कर रहा है।
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के साधनों का इस्तेमाल करते हुए यह समग्र ई-साक्षरता अभियान समाज में कम्प्यूटर का प्रयोग करने वालों और न करने वालों के बीच के अंतर (डिजिटल डिवाइड) को कम करने में भी सहायक होगा। इससे राज्य की सुविधाओं से वंचित आबादी के रहन-सहन के स्तर को भी बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
मुझे बताया गया है कि पी. एन पणिकर विज्ञान विकास केंद्र का मूल संगठन पी. एन. पणिकर फाउन्डेशन देश का पहला संगठन था, जिसने ग्रामीण लोगों में ई-पठन को लोकप्रिय बनाया। मुझे खुशी है कि विज्ञान विकास केंद्र इस कार्य को आगे बढ़ा रहा है।
वास्तव में हमें देश के हर हिस्से में ऐसे प्रयास करने की आवश्यकता है। इससे प्रशासन के विकेंद्रीकरण में सूचना संचार प्रौद्योगिकी की पूरी क्षमता का उपयोग करने में सहायता मिलेगी। सेवाओं की बेहतर आपूर्ति में और विशेष रूप से शिक्षा, वित्तीय समावेश और ई-वाणिज्य में यह बहुत उपयोगी रहेगी। इस ई-साक्षरता कार्यक्रम से केरल के आम लोगों को सोशल मीडिया पर विचारों और सूचनाओं के आदान-प्रदान में हिस्सा लेने में मदद मिलेगी।
इससे केरल के युवा उपयोगी रोजगार अवसरों का बेहतर फायदा उठा सकेंगे। सामुदायिक स्तर पर होने वाले सफल प्रयासों का आसानी से आदान-प्रदान होने से एक सामाजिक राजधानी के निर्माण में भी इससे सहायता मिलेगी।
कई सामाजिक इतिहासकारों का मानना है कि केरल के कथित विकास मॉडल में पुस्तकालय आंदोलन की बहुत बड़ी भूमिका है। मुझे उम्मीद है कि पणिकर विज्ञान विकास केंद्र की ई-साक्षरता परियोजना भी इसी प्रकार केरल के सामाजिक और आर्थिक विकास को गति प्रदान करने में और लोगों के राजनीतिक सशक्तिकरण में बहुत सहायक होगी। इसकी सफलता ही उस महान व्यक्ति पी. एन. पणिकर के प्रति हमारी श्रद्धांजलि होगी। मैं इस परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद, जयहिन्द।"
वेबसाइट http://www.pmindia.nic.in से मुद्रित