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October 31, 2013
New Delhi


PM’s address at the Indira Gandhi Rashtriya Ekta Puraskar Ceremony

Following is the address of the Prime Minister, Dr. Manmohan Singh, delivered in Hindi, at Indira Gandhi Rashtriya Ekta Puraskar Ceremony in New Delhi today:

"आज सबसे पहले मैं इस साल के इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन को बधाई देना चाहूंगा। डॉ. स्वामीनाथन एक विश्व विख्यात कृषि वैज्ञानिक हैं जो भारत के किसानों के बहुत बड़े हमदर्द और साथी भी हैं। उनको अपने लंबे career में तमाम सारे पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। लेकिन मेरा मानना है कि आज का पुरस्कार उनके काम और सफलताओं के एक अलग पहलू को उजागर करता है। वह यह कि उन्होंने किसानों को खुशहाल और समृद्ध बनाने की दिशा में काम करके भारत की एकता और अखंडता को मज़बूत किया है।

इससे पहले कि मैं डॉ. स्वामीनाथन जी के विषय में और कुछ कहूं, मैं उस महान नेता के बारे में चंद शब्द कहना चाहूंगा जिसके सम्मान में इस पुरस्कार की स्थापना की गई थी। श्रीमती इंदिरा गांधी जी का उन सभी आदर्शों और परंपराओं में गहरा विश्वास था जो हमारे देश को महान बनाती हैं। हमारे देश के अन्य महान नेताओं की तरह उनकी सोच धर्मनिरपेक्ष और उदार थी । वर्तमान समय में हमें इंदिरा जी द्वारा दिखाए गए रास्ते को याद करने की जितनी ज़रूरत है उतनी शायद पहले कभी नहीं रही। आज जब देश के कुछ हिस्सों में समाज को धर्म, जाति और समुदाय को लेकर बांटने की कोशिशें की जा रही है, इंदिरा जी का संदेश हमारे लिए और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

इंदिरा जी ने हमेशा देश की सामाजिक और आर्थिक प्रगति के लिए काम किया। वह आर्थिक विकास का फायदा आम आदमी तक और विशेष रूप से कमज़ोर तबकों तक पहुंचाना चाहती थीं। उन्हें मालूम था कि घर घर तक खुशहाली पहुंचने से अपने देश और समाज में हमारा विश्वास बढ़ता है और हमारी एकता मज़बूत होती है। उन्हें यह भी मालूम था कि घर घर तक खुशहाली पहुंचाने के लिए कृषि का तेज़ विकास करना बहुत ही ज़रूरी है क्योंकि देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।

इसीलिए इंदिरा जी ने देश में हरित क्रांति लाने का काम किया। इस महान काम की बदौलत हम अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर हो पाए है । एक देश के रूप में हमारा आत्म विश्वास भी बढ़ा है क्योंकि हमने उस स्थिति को बदला जिसमें हमें बड़े पैमाने पर अनाज का बाहर से आयात करना पड़ता था।

हरित क्रांति में डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन का एक बहुत बड़ा योगदान रहा। इनमें अनोखी वैज्ञानिक और प्रशासनिक काबिलियत है जिसका पूरा फायदा हमारे देश व हमारे किसानो को मिला। यह कहना गलत नहीं होगा कि इंदिरा जी के नेतृत्व और डॉ. स्वामीनाथन की अनथक मेहनत की वजह से भारत में जो हरित क्रांति आई उसी की बुनियाद पर आगे काम करके आज हम खाद्य सुरक्षा कानून लागू कर पाए हैं।

मैं डॉ. स्वामीनाथन की उपलब्धियों के बारे में जितना भी कहूं कम होगा। उनको अपने career में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जो सम्मान मिले हैं वह उनकी कामयाबियों का सुबूत हैं। मैं अपनी बात समाप्त करने से पहले सिर्फ इतना और कहना चाहूंगा कि डॉ. स्वामीनाथन ने अपने काम में हमेशा गरीबों और कमज़ोर तबकों की भलाई का ख्याल रखा है। उन्होंने ऐसी तकनीकों और तरीकों पर ज़ोर दिया है जिससे पर्यावरण को नुकसान न हो और जो स्थाई तौर पर अपनाई जा सकें। ऐसा करने से ही हमारे किसानों और ख़ास तौर पर छोटे किसानों की आजीविका सुरक्षित रह सकती है। डॉ. स्वामीनाथन ने अपने काम में महिलाओं के हितों का भी खास ध्यान रखा है। कृषि के क्षेत्र में काम कर रही महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में प्रयास करने के लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया है।

मैं एक बार फिर श्रीमती इन्दिरा गांधी जी को श्रद्धांजलि देता हूं और डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन जी को आज के पुरस्कार के लिए बधाई देता हूं। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि वह डॉ. स्वामीनाथन को भविष्य में और बहुत सारी सफलताएं प्रदान करे।"