SPEECHES[Back]

September 13, 2013
New Delhi


PM's address at a meeting with farmers from Banaskantha, Gujarat

आज नई दि‍ल्‍ली में बनासकांठा, गुजरात के कि‍सानों के सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा हिन्दी में दि‍ए गए भाषण का मूल पाठ इस प्रकार है:-

मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि आज आपसे बात करने का अवसर मिला है।

मुझे बताया गया है कि आप इन दिनों भारत दर्शन के लिए यात्रा कर रहे हैं जिसमें आपको देश के विभिन्न हिस्सों के किसानों से विचार-विमर्श करने का मौका मिलेगा।  मुझे पूरा यक़ीन है कि इससे खेती के संबंध में आपकी जानकारी और बढ़ेगी। मैं Adarsh Farmers Association को इस यात्रा के आयोजन के लिए बधाई देता हूं।

मैं इस Association की इस बात के लिए भी तारीफ करता हूं कि वह बनासकांठा ज़िले के किसानों की प्रगति और समृद्धि के लिए काम कर रही है। ज़िला स्तर पर किसानों को खाद और अच्छी quality के बीज़ जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए और उन्हें खेती से संबंधित नई जानकारी देने के लिए हमें इस तरह की और संस्थाओं की भी बहुत ज़रूरत है।

देश की बढ़ती हुई आबादी के लिए अनाज और दूसरी फसलों की पैदावार बढ़ाना एक चुनौती भरा काम है, ख़ास तौर पर इसलिए देश के एक बड़े हिस्से में खेतीबाड़ी का काम अभी-भी मानसून पर निर्भर है। अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में बढ़ी हुई मांग की वजह से किसानों को भूमि, जल और मज़दूरों की उपलब्धता की समस्या का सामना भी करना पड़ रहा है। साथ ही किसानों के सामने मौसम के बदलाव की चुनौती भी है। कठिन हालात के बावजूद हमारे देश के किसान भाई-बहनों ने पैदावार और निर्यात की रिकार्ड ऊंचाईयां हासिल की हैं। मैं इन सफलताओं के लिए आप सबको बधाई देता हूं। आपकी मेहनत और लगन की बुनियाद पर ही हमारी संसद ने अभी हाल ही में खाद्य सुरक्षा बिल मंज़ूर किया है।

11वीं पंचवर्षीय योजना से हमने कृषि पर ख़ास ध्यान देना शुरू किया है। उत्पादकता और उत्पादन बढ़ाने के लिए कई नये कार्यक्रम चलाए गए हैं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) के जरिए अनाज पैदावार बढ़ाई गई है।  राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM) के तहत फलों और सब्जियों की पैदावार बढ़ाने की भरपूर कोशिश की जा रही है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के जरिए कृषि और इससे जुड़े हुए क्षेत्रों में सरकारी निवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है। पूर्वी भारत में हरित क्रान्ति लाने के लिए भी एक नई योजना शुरू की गई है। पानी की बचत और बेहतर इस्तेमाल के लिए National Mission on Micro Irrigation स्थापित किया गया है।  Extension और Marketing व्यवस्था में सुधार किए गए हैं। कर्ज की सुविधाएं बेहतर बनाई गई हैं।

हमारी यह कोशिश रही है कि हमारे देश के किसानों को बिजली, कर्ज, पानी और Fertilizers ज़्यादा से ज़्यादा आसानी के साथ मिल सकें। पिछले 5-6 वर्षों के दौरान विभिन्न फसलों की ख़रीद कीमतें बढ़ाकर लगभग दुगुनी कर दी गई हैं।

अभी जैसा अल्का जी ने बताया हमने कुछ दि‍न हुए Land Acquisition Bill को पास करके कि‍सानों के फायदे के लि‍ए एक बहुत बड़ा कदम आगे उठाया है । देश के कि‍सानों की मेहनत और हमारी कोशिशों के नतीजे में हमारी कृषि पैदावार, विशेषकर अनाजों, फलों और सब्जियों की पैदावार में पिछले पांच वर्षों के दौरान लगातार बढ़ोत्तरी हुई है। 2011-12 में 259 मिलियन टन अनाज की रिकार्ड स्तर पैदावार दर्ज की गई। गेहूं और चावल की पैदावार भी 2011-12 में रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई थी । देश के कुछ हिस्सों में सूखे की स्थिति के बावजूद 2012-13 में अनाज पैदावार 255 मिलियन टन का अनुमान है। दालों की पैदावार जो पिछले कई सालों से एक स्तर पर ठहरी हुई थी पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी है। 2006-07 में 14 मिलियन टन दलहन का उत्पादन हुआ था जबकि 2011-12 में 17 मिलियन टन दलहन का उत्पादन हुआ और 2012-13 में दलहन का उत्पादन 18.45 मिलियन टन के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया। कुछ ऐसे राज्य जहां उत्पादकता कम थी आज देश के अनाज भंडार में योगदान दे रहे हैं।

2007-08 में 194 मिलियन टन फलों और सब्जियों की हमारे देश में पैदावार हुई थी। 2011-12 में यह बढ़कर 233 मिलियन टन हो गई। कपास की पैदावार में भी हमारे देश को उल्लेखनीय सफलता मिली है।

मुझे बताया गया है कि आपके जिले बनासकांठा के एक बड़े हिस्से में सिंचाई का कोई साधन नहीं है। लेकिन वहां भी कृषि के क्षेत्र में अच्छी प्रगति हुई है, ख़ास तौर पर आलू, ज़ीरा, और अरंडी जैसे तिलहनों की पैदावार में। इस सफलता का पूरा श्रेय आप कि‍सान भाई-बहनों को जाता है। आपने अपने क्षेत्र में ऐसी फसलें उगाईं जो वहां की मिट्टी और जलवायु में अच्छी पैदावार दे सकती थीं। मुझे पूरा भरोसा है कि इन कामयाबियों को आप आगे भी जारी रखेंगे।

अभी बहन अल्का जी ने आपको जो समस्या2ओं से सामना करना पड़ता है उनमे सुधार करने के लि‍ए कुछ सुझाव रखे हैं । जहॉं तक केन्द्रै सरकार का फर्ज है मैं आपको यकीन दि‍लाना चाहता हूँ कि‍ इन तमाम वि‍षयों पर हम पूरी ईमानदारी से गौर करेंगे और मुझे पूरा विश्वास है कि यदि हमारे किसान भाई-बहनों को ज़रूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं तो पैदावार के मामले में हम किसी भी देश का मुक़ाबला कर सकते हैं। ऐसा करने से किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी ।

हमने 12वीं पंचवर्षीय योजना में 4% कृषि विकास की दर प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। कृषि विकास की बुनियादी ज़िम्मेदारी तो राज्य सरकारों की है लेकिन हम उनको पूरा-पूरा सहयोग देते रहे हैं और देते रहेंगे । 12वीं पंचवर्षीय योजना में कृषि क्षेत्र के लिए 11वीं योजना के मुक़ाबले दुगुनी राशि का प्रावधान किया गया है। हम Agricultural diversification पर ध्यान देना और Agro Ecological Regions के हिसाब से कृषि विकास करने की कोशिशें जारी रखेंगे। हमने पक्का इरादा कर रखा है कि हम अपने किसानों को अच्छी तकनीक और अन्य सुविधाओं का लाभ उपलब्ध कराएंगे।

इन सब शब्दों  के बाद मैं आप सबको अपनी शुभकामनाएं देता हूं। मुझे पूरा भरोसा है कि आप आगे भी भारत का नाम रोशन करते रहेंगे।