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August 20, 2013
New Delhi


PM's address at the Rajiv Gandhi National Sadbhavana Award Ceremony

Following is the address of the Prime Minister, Dr. Manmohan Singh, delivered in Hindi, at Rajiv Gandhi National Sadbhavana Award Ceremony in New Delhi today:

“मुझे बहुत खुशी है कि एक बार फिर मुझे राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार समारोह में हिस्सा लेने का मौका मिला है। मैं आज के पुरस्कार विजेता श्री अमजद अली खान साहब को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

जैसा कि‍ आप सबको मालूम है यह पुरस्कार हमने अपने प्रिय नेता और पूर्व प्रधान मंत्री राजीव जी की याद में स्थापित किया है। राजीव जी ने अपनी पूरी ज़िंदगी हमारे समाज को जोड़ने का काम किया है। वह यह बात अच्छी तरह जानते थे कि हमारा देश तभी तरक्की कर सकता है जब हम एक दूसरे के धर्म, भाषा और विचारों के प्रति सहनशील रहें और उनका आदर करना सीखें। एक आधुनिक और प्रगतिशील भारत के निर्माण के लिए राजीव जी ने जो काम किया वह हमें हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।

हम सब जानते हैं कि भारत एक विशाल और विविध देश है। दुनिया के सभी मुख्य धर्मों के साथ-साथ हमारे यहाँ अनेकों भाषाएं, संप्रदाय और संस्कृतियां मौजूद हैं। कई बार इस विविधता का नाजायज़ फायदा उठाते हुए हमें बांटने की कोशिशें की जाती हैं। यह सभी राजनैतिक दलों, समाज के सभी वर्गों और हम सब का फर्ज बनता है कि हम इन कोशिशों को नाकाम बनाएं।

अभी कुछ दिन पहले हमारे देश में जो सांप्रदायिक हिंसा हुई उससे हमें यह सबक लेना चाहिए कि सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के प्रयासों में कभी-भी कोई ढील नहीं आनी चाहिए। हमें ऐसी ताकतों का हर वक्त और हर स्तर पर विरोध करना है, चाहे वह रोज़मर्रा की ज़िंदगी हो या चुनाव। हमें आपस में सद्भावना बढ़ाने के प्रयास करते रहना चाहिए ताकि हमारे मन में एक दूसरे के लिए कभी-भी अविश्वास पैदा न हो और कोई भी हमारे बीच फूट न डाल सके। यही राजीव जी को हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

आज के पुरस्कार विजेता श्री अमजद अली साहब हमारे देश के अज़ीम फ़नकारों में से एक हैं। वह एक महान सरोद वादक हैं जिन्होंने दुनिया भर में लोगों को सरोद के जादू से वाकिफ़ कराया है। कहते हैं कि संगीत किसी भाषा का मोहताज नहीं होता। न तो उसका कोई मज़हब होता है और न ही कोई जाति। और इसीलिए संगीत में धर्म, भाषा और मज़हब जैसे दायरों से ऊपर उठकर लोगों को एक करने की ताकत होती है। श्री अमजद अली खान साहब ने सरोद के जरिए यह काम बखूबी किया है। वह भारत की मिली जुली संस्कृति की एक अनोखी मिसाल हैं।

हमारे देश के संगीत घरानों की परंपराएं हमेशा Secular रही हैं। बल्कि यह कहना गलत नहीं होगा कि इन परंपराओं से बेहतर Secularism की कोई मिसाल नहीं दी जा सकती है। श्री अमजद अली खान साहब ने इस Secular सोच को पूरे देश में फैलाया है। हम सबको उन पर गर्व है और हमको उन से प्रेरणा भी मिलती है। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि वह उनको तमाम सारी नई कामयाबियां हासिल करवाए।

हमारे देश और समाज को श्री अमजद अली खान साहब जैसी बहुत सी शख्सियतों की ज़रूरत है। अपनी बात खत्म करते हुए मैं एक बार फिर उनको बधाई देता हूं और स्व. राजीव गांधी जी को श्रद्धांजलि देता हूं।”